



Himachal news: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सरकाघाट में 72 वर्षीय धर्मचंद की अस्पताल में मृत्यु हो गई, लेकिन उनका बेटा अंतिम संस्कार के लिए भी नहीं आया. नगर परिषद ने बुजुर्ग का अंतिम संस्कार किया. माना जाता है कि जैसे जैसे कलियुग का प्रकोप बढ़ेगा. वैसे-वैसे इंसानियत खत्म होती जाएगी. ताजा मामला हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले का है. जहां पर एक पिता से उसके बेटे और परिवार ने मुख मोड़ दिया. आलम यह हुआ है कि बुजुर्ग चार माह से अस्पताल में भर्ती रहा और बेटे की राह ताकते ताकते उसके प्राण निकल गए. इससे ज्यादा शर्मिंदगी की बात और क्या हो सकती है कि बेटा अपने पिता की चिता को आग देने भी नहीं आया और नगर परिषद को बुजुर्ग को अंतिम विदाई देनी पड़ी.
दरसअल, मंडी जिले के सरकाघाट का यह मामला है. जिंदगी के आखिरी दिनों में बेटे की राह देखते-देखते एक बुजुर्ग ने अस्पताल में दम तोड़ दिया. अपनी जिंदगी के अंतिम चार महीनों में तो बुजुर्ग को बेटे के दर्शन नहीं हुए, लेकिन मौत के बाद भी बेटे ने पिता को विदाई नहीं दी.
उपमंडल सरकाघाट की ग्राम पंचायत जमनी के गांव जनीहण के 72 वर्षीय धर्मचंद बीते चार माह से सरकाघाट अस्पताल में भर्ती थे. यहां पर सोमवार सुबह उनकी तबीयत बिगड़ी और उन्होंने दम तोड़ दिया. बताया जा रहा है कि धर्मचंद पहले पंजाब में रहते थे, लेकिन कुछ साल पहले गांव लौट आए थे. अब उनका बेटा पंजाब में रहता है. अस्पताल में जब उन्हें भर्ती किया गया तो प्रबंधन ने उन्हें जानकारी दी थी. लेकिन बीते चार महीने में एक बार भी बेटा पिता की सुध लेने नहीं आया. बीमारी के चलते गाववालों ने धर्मचंद को अस्पताल में भर्ती करवाया था. यहां पर 4 महीने तक अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारियों ने बुजुर्ग की देखभाल की. इस दौरान धर्मचंद बेटे की राह तकते रहे, लेकिन कोई नहीं आया।