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मौसम की मार: किसानों पर दोहरी आफत; सेब-सब्जियां और गेहूं को भारी नुकसान; फिर बिगड़ेगा मौसम

लाइव हिमाचल/शिमला: प्रदेश के कुछ हिस्सों में गुरुवार को बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई। इसके चलते किसानों-बागबानों में फसलें बर्बाद होने का डर सता रहा है। कई जगह गेहूं की कटाई का भी काम चल रहा है। वहीं ओलावृष्टि होने से मटर, जौ, गोभी, खुमाणी की फसल बर्बाद हुई है। शिमला जिले के कुफरी, ठियोग, जुब्बल, कोटखाई, रोहड़ू सहित सिरमौर में भी कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि हुई है। मनाली में वर्षा हुई है। यहां का मौसम काफी सुहावना हो गया है। मौसम विभाग ने मई में सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना जताई है, जबकि इस दौरान गर्म हवाएं चलने से गर्मी भी बढ़ेगी। छह मई तक पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय रहेगा और इसके कारण 50 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से आंधी चलने और ऊंचे क्षेत्रों में हिमपात व वर्षा की संभावना जताई गई है। प्रदेश में वर्ष 1901 से लेकर अप्रैल में इस बार 37वीं सबसे कम वर्षा दर्ज की गई है। सबसे कम वर्षा अप्रैल में वर्ष 1999 में 4.4 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है। इस बार अप्रैल में सामान्य से 35 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई है। वीरवार सुबह बादल छाए रहे और शाम के समय वर्षा और ओलावृष्टि हुई। इस कारण कई क्षेत्रों में ठंड महसूस की गई। वीरवार को अधिकतम तापमान में एक से पांच डिग्री तक की गिरावट आई है। सबसे अधिक गिरावट नारकंडा में 4.7, कल्पा, भरमौर और रिकांगपिओ में तीन डिग्री तक की आई है। न्यूनतम तापमान में दो से चार डिग्री तक की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि शुक्रवार को इसमें गिरावट आने का अनुमान है। लाहुल स्पीति जिले में उदयपुर-किलाड़ मार्ग पर दरेड़ नाला के पास बुधवार देर रात हिमस्खलन से मार्ग बंद हो गया। मार्ग बंद होने से वीरवार को मनाली का किलाड़ से संपर्क कट गया। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) सुबह ही सड़क बहाली में जुट गया था। वहीं शिमला, सोलन, मंडी, हमीरपुर व कांगड़ा जिले में कई स्थानों पर ओलावृष्टि व तेज वर्षा के कारण सेब सहित अन्य फलों, टमाटर और सब्जियों के अलावा गेहूं की फसल को भारी नुकसान हुआ है।

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