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Varuthini Ekadashi 2025: वरूथिनी एकादशी पर करें इस कथा का पाठ, शुभ फलों की होगी प्राप्ति

वरूथिनी एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में बहुत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस शुभ दिन पर भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। एक साल में कुल 24 एकादशी मनाई जाती हैं। वहीं, एक महीने में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में दो एकादशी आती हैं। इस साल वरूथिनी एकादशी का व्रत वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 24 अप्रैल, 2025 रखा जा रहा है। अगर आप इस व्रत का पालन कर रहे हैं, तो इसकी कथा (Varuthini Ekadashi 2025) का पाठ जरूर करें, क्योंकि इसके बिना एकादशी व्रत अधूरा माना जाता है।

वरूथिनी एकादशी पूजा मुहूर्त 

वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी 23 अप्रैल 2025 को शाम 4.43 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 24 अप्रैल 2025 को दोपहर 2.32 मिनट पर इसका समापन होगा.

पूजा मुहूर्त – सुबह 5.47 – सुबह 7.25

सुबह 10.41 – दोपहर 1.58

वरूथिनी एकादशी कथा (Varuthini Ekadashi 2025 Katha)

एक बार नर्मदा नदी के तट पर मान्धाता नाम के राजा का राज हुआ करता था। वह बड़ा ही तपस्वी था। एक समय ऐसा आया कि राजा की तपस्या के दौरान एक जंगली भालू आया और उसके पैर को चबाने लगा, लेकिन राजा तपस्या में लीन रहा। भालू राजा को घसीट कर जंगल में ले गया। भालू को देख राजा अधिक डर गया। इस दौरान उसने भगवान भगवान विष्णु से जीवन की रक्षा के लिए प्रार्थना की। उसकी पुकार सुन प्रभु वहां प्रकट हुए और भालू को मारकर राजा के प्राण बचाए। तब तक भालू ने राजा का पैर खा लिया था। इसकी वजह वह बेहद दुखी था। राजा को इस परिस्थिति में देख भगवान विष्णु ने उसको एक उपाय बताया। प्रभु ने राजा को वरूथिनी एकादशी करने के लिए कहा। राजा ने प्रभु की बात को मानकर वरूथिनी एकादशी व्रत किया और उसने वराह अवतार मूर्ति की पूजा की। इसके बाद इस व्रत के प्रभाव से राजा फिर से सुंदर शरीर वाला हो गया। मृत्यु के पश्चात उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई। इसी तरह वरूथिनी एकादशी की शुरुआत हुई।

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