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बिना फास्ट टैग के कट जाएगा टोल, 1 मई से बदलने वाला है सिस्टम

दिल्ली: भारत में हाईवे यात्रा जल्द ही और सुगम व त्वरित होने वाली है। केंद्र सरकार एक क्रांतिकारी सैटेलाइट-आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम शुरू करने की तैयारी में है, जो टोल प्लाजा की लंबी कतारों, फास्टैग की खामियों और समय की बर्बादी को इतिहास बना देगा। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में घोषणा की कि अगले 15 दिनों में नई टोल नीति लागू की जाएगी, जो देश के टोल संग्रह तंत्र में आमूलचूल बदलाव लाएगी। यह नया सिस्टम GNSS (Global Navigation Satellite System) तकनीक पर आधारित होगा। प्रत्येक वाहन में एक ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) लगाई जाएगी, जो वाहन की रीयल-टाइम लोकेशन और हाईवे पर तय की गई दूरी को ट्रैक करेगी। इससे टोल वसूली “Pay as you drive” मॉडल पर होगी, यानी टोल टैक्स केवल उतनी दूरी के लिए देना होगा, जितना वाहन हाईवे पर चला है। यह पारदर्शी व्यवस्था मनमानी वसूली पर अंकुश लगाएगी और यात्रियों को राहत देगी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक बड़ा ऐलान किया है, जो भारत में हाईवे पर टोल वसूलने के तरीके को पूरी तरह बदल सकता है। सोमवार को एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अगले 15 दिनों के भीतर एक नई टोल नीति लेकर आएगी। गडकरी ने कहा, “केंद्र सरकार जल्द ही एक नई टोल नीति पेश करने जा रही है। मैं अभी इसके बारे में ज्यादा नहीं कहूंगा, लेकिन अगले 15 दिनों के भीतर इस नई नीति की घोषणा कर दी जाएगी। जब यह लागू हो जाएगी, तो किसी को टोल को लेकर कोई शिकायत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ऐसे में रिपोर्ट्स के मुताबिक यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत सरकार 1 मई 2025 से देशभर में हाईवे पर टोल संग्रह का तरीका बदलने जा रही है। टोल टैक्स जमा करने के लिए अब तक FASTag (फास्टैग) का इस्तेमाल हो रहा था, लेकिन अब उसकी जगह एक नया जीपीएस आधारित टोल सिस्टम लाया जा रहा है। इस नई व्यवस्था का मकसद है टोल वसूली को ज्यादा आसान, सटीक और पारदर्शी बनाना। साथ ही हाईवे पर जाम की समस्या को भी कम करना। 2016 में फास्टैग की शुरुआत हुई थी, जिससे टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत कम हो गई थी। इसमें RFID (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) तकनीक का इस्तेमाल होता है, जिससे कार बिना रुके टोल गेट पार कर पाती है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में भीड़भाड़, तकनीकी खामियां और टैग के गलत इस्तेमाल जैसे कई मुद्दे सामने आए हैं। इन्हीं परेशानियों को देखते हुए सरकार अब एक ज्यादा आधुनिक सिस्टम की तरफ बढ़ रही है।

नया सिस्टम कैसे काम करेगा?
जीपीएस आधारित टोल संग्रह प्रणाली में गाड़ियों में ऑन-बोर्ड यूनिट (ओबीयू) नाम का एक उपकरण लगाया जाएगा। यह उपकरण GNSS यानी ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम तकनीक के जरिए गाड़ी की मूवमेंट को ट्रैक करेगा। जब कोई गाड़ी हाईवे पर चलेगी, तो वह कितनी दूरी तय कर रही है, यह ओबीयू से रिकॉर्ड होगा। उसी हिसाब से टोल की रकम तय की जाएगी और वो सीधे ड्राइवर के बैंक खाते या डिजिटल वॉलेट से कट जाएगी। इसकी सबसे बड़ी बात यह होगी कि अब टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी।

इस सिस्टम के क्या फायदे हैं?

  • सटीक चार्जिंग: अब टोल उस दूरी के हिसाब से लिया जाएगा जितनी दूरी किसी वाहन ने तय की है। इससे लोगों को ज्यादा या कम चार्ज देने की शिकायत नहीं रहेगी।
  • कम जाम: चूंकि टोल बूथ पर रुकना नहीं पड़ेगा, तो ट्रैफिक जाम की समस्या भी कम होगी और सफर आसान होगा।
  • पारदर्शिता बढ़ेगी: पूरा सिस्टम ऑटोमैटिक और ट्रैक होने वाला होगा, जिससे गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की संभावना कम हो जाएगी।
  • पर्यावरण को फायदा: ट्रैफिक स्मूथ होने से गाड़ियों के रुकने और चलने का सिलसिला कम होगा, जिससे प्रदूषण में भी कमी आएगी।

चरणबद्ध तरीके से लागू होगा नया सिस्टम
इस पूरे सिस्टम को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) लागू करेगा। शुरुआत में यह सुविधा ट्रकों और बसों जैसे वाणिज्यिक वाहनों पर लागू होगी। इसके बाद धीरे-धीरे इसे सभी निजी गाड़ियों तक बढ़ाया जाएगा। इससे तकनीकी दिक्कतों को समय रहते सुधारा जा सकेगा और आम जनता को भी इसका अभ्यस्त होने का मौका मिलेगा। लोगों की प्राइवेसी को लेकर भी सरकार ने ध्यान रखा है। जीपीएस सिस्टम भारत के अपने नेशनल रिजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) जिसने NavIC के नाम से जाना जाता है, पर आधारित होगा। इसका मतलब है कि सभी डाटा भारत के भीतर ही रहेगा और नागरिकों की जानकारी सुरक्षित रहेगी जैसे-जैसे भारत इस एडवांस्ड टोलिंग सिस्टम की ओर बढ़ेगा, यात्रियों को तेज, आसान और भरोसेमंद सफर का अनुभव मिलेगा। अब टोल प्लाजा पर रुकने, लाइन में लगने और गलत चार्जिंग जैसी परेशानियां बीते दिनों की बात बन जाएंगी।

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