



तीन दिन में सौंपे रिकॉर्ड
कोर्ट ने राज्य पुलिस को डीजीपी के माध्यम से तीन दिन के भीतर सीबीआई को मामले से संबंधित सभी मूल रिकॉर्ड उपलब्ध कराने के आदेश भी दिए। कोर्ट ने कहा कि यह मामला न केवल पुलिस अधिकारियों द्वारा कर्तव्यों की उपेक्षा को दर्शाता है, बल्कि कानून के जनादेश का भी घोर उल्लंघन करता है। यदि एफआइआर समय पर दर्ज की गई होती तो पुलिस को जांच करने की और शक्ति मिलती। यदि पुलिस की राय में तथ्य, एफआइआर के तत्काल पंजीकरण लायक न होते तो प्रारंभिक जांच पूरी की जानी चाहिए थी।
पिता ने जताई थी हत्या की आशंका
कोर्ट के अनुसार, 14 फरवरी 2024 को वैभव यादव के पिता ने आशंका जताई थी कि बेटे की हत्या की गई है। पुलिस के पास संज्ञेय अपराध होने की सूचना थी। एफआइआर दर्ज करने के लिए और कुछ भी आवश्यक नहीं था। वर्तमान मामले के तथ्य पुलिस विभाग के एक और निर्लज्ज आचरण को प्रदर्शित करते हैं, जिसने पहले से ही कम हो रहे सार्वजनिक विश्वास में और भी अधिक योगदान दिया है।मामले के अनुसार, नौ दिसंबर, 2023 को हरियाणा के चार युवा छात्र वैभव यादव, कुशाग्र, शशांक शर्मा और रितिका मित्तल कुल्लू जिले में तोष नामक स्थान पर गए थे। वैभव की शाम को मौत हो गई। पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई। 11 दिसंबर, 2023 को वैभव का शव पोस्टमार्टम के बाद स्वजन को सौंप दिया गया। 14 फरवरी, 2024 को वैभव के पिता बलदेव यादव ने प्रदेश पुलिस महानिदेशक को एक लिखित अनुरोध प्रस्तुत किया, जिसकी एक प्रति एसएचओ पुलिस स्टेशन कुल्लू को भी भेजी गई, जिसमें उनके बेटे की मौत में गड़बड़ी की आशंका जताई गई। पत्र में बताया गया कि 10 दिसंबर, 2023 को मृतक के स्वजन के साथ पुलिस अधिकारियों का रवैया असहयोगात्मक था। कथित तौर पर वैभव के चाचा के अनुरोध के बावजूद वैभव के तीन साथियों और होटल स्टाफ से उनकी मौजूदगी में पूछताछ नहीं की गई। पत्र के माध्यम से बलदेव ने विनय यादव नामक एक प्रशिक्षु आइपीएस अधिकारी के आचरण पर सवाल उठाए थे। आरोप था कि उसने कथित तौर पर स्थानीय पुलिस पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया था। कुशाग्र, शशांक और रितिका का घटना के बाद का आचरण भी संदेहास्पद बताया था। आरोप था कि वैभव के बीमार होने का बहाना बनाकर कमरे में अकेले रहने के बारे में भी सवाल उठाया गया था, जबकि कुशाग्र के पिता ने कथित तौर पर टेलीफोन पर बातचीत के दौरान शिकायतकर्ता को बताया था कि कुशाग्र, शशांक और रितिका भी बीमार थे और उल्टी कर रहे थे। बलदेव यादव की शिकायत के जवाब में छह मार्च, 2024 को पुलिस अधीक्षक कुल्लू ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कुल्लू संजीव चौहान को तथ्य खोजी जांच सौंपी। बलदेव यादव नेहाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को 10 जुलाई, 2024 को एक पत्र लिखा। इस पृष्ठभूमि में तत्कालहाईकोर्ट ने आपराधिक रिट याचिका पंजीकृत की थी।