



लाइव हिमाचल/शिमला: नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सुक्खू सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश के मुखिया हिमाचल प्रदेश के विकास और जनहित के बजाय सीपीएस को बचाने में जी-जान से जुटे हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि हाईकोर्ट द्वारा सीपीएस को हटाने के आदेश देने के बाद भी सरकार उन्हें बचाने में करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, जो प्रदेश के विकास में लगने चाहिए थे। जयराम ठाकुर ने इसे सरकार की प्राथमिकताओं में भारी असंतुलन बताया। जयराम ठाकुर ने कहा कि जब माननीय उच्च न्यायालय ने सीपीएस की नियुक्ति को अवैध ठहराते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से हटाने और उनकी सभी सुविधाएं वापस लेने के आदेश दिए थे, तो सरकार को उन आदेशों का पालन करना चाहिए था। लेकिन, सरकार ने इसके बावजूद सीपीएस को बचाने के लिए करोड़ों रुपये वकीलों को फीस देने में खर्च कर दिए। जयराम ठाकुर ने यह भी कहा कि सरकार ने हाईकोर्ट को पहले ही बताया था कि सीपीएस द्वारा कोई काम नहीं किया जा रहा था, फिर भी उन्हें बचाने के लिए सरकार के इस कदम को समझना मुश्किल है। नेता प्रतिपक्ष ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार प्रदेश के विकास कार्यों को छोड़कर एक विवादित पद को बचाने में जुटी हुई है। उदाहरण स्वरूप, प्रशिक्षु डॉक्टर्स को कई महीनों से स्टाइपेंड नहीं मिल रहा है, और वे सड़कों पर धरने पर बैठने को मजबूर हैं। इसके बावजूद सरकार उनके हितों पर ध्यान देने के बजाय वकीलों की फीस चुकता कर रही है। जयराम ठाकुर ने यह भी कहा कि सरकार ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी के ज़मीन के पैसे जमा नहीं किए, जिसके कारण उसका कैंपस नहीं बन पाया है। जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि इस मामले में अब तक सरकार लगभग 10 करोड़ रुपये से अधिक की लीगल फीस खर्च कर चुकी है, और यह सिलसिला जारी रहने की संभावना है। वहीं, प्रदेश की दूसरी महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए बजट का आभाव है। हिम केयर, सहारा पेंशन, शगुन योजना, मेडिकल स्टूडेंट्स का स्टाइपेंड और कर्मचारी पेंशन के लिए भी फंड्स की कमी हो रही है। ऐसे में इन जरूरी कार्यों को छोड़कर सरकार का ध्यान CPS को बचाने पर केंद्रित है। जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री सुक्खू को यह समझना चाहिए कि हाईकोर्ट ने उनके द्वारा की गई गलती को सुधार दिया है और अब सरकार को प्रदेश के विकास पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें जनहित के पैसे को इस तरह से बर्बाद नहीं करना चाहिए।