



आज का पंचांग 10 मई 2024: इस साल अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती आज 10 मई को है. आज वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, रोहिणी नक्षत्र, अतिगण्ड योग, तैतिल करण, पश्चिम का दिशाशूल और दिन शुक्रवार है. अक्षय तृतीया के अवसर पर मां अन्नपूर्णा, माता लक्ष्मी और पितरों की पूजा करते हैं. मां अन्नपूर्णा और माता लक्ष्मी की कृपा से घर धन, धान्य, वैभव से परिपूर्ण रहता है. वहीं पितरों के लिए पूजा, दान, तर्पण आदि करने से खुशहाली आती है. पितरों के आशीर्वाद से जीवन सुखमय होता है. अक्षय तृतीया के दिन ही परशुराम जयंती भी मनाई जाती है. परशुराम भगवान विष्णु के अवतार हैं. अक्षय तृतीया के अवसर पर सोना, चांदी, आभूषण आदि की खरीदारी करते हैं. इसके अलावा नई गाड़ी, मकान आदि भी खरीद सकते हैं. इस दिन इनकी खरीदारी करने से संपत्ति में कमी नहीं होती है. अक्षय तृतीया पर आप जो भी शुभ कार्य करते हैं, उसका पुण्य हमेशा आपके साथ रहता है. उसका नाश नहीं होता है. इस दिन विवाह, सगाई, मुंडन, गृहप्रवेश आदि जैसे मांगलिक कार्य किए जाते हैं क्योंकि पूरे दिन अबूझ मुहूर्त होता है. यदि आप किसी कार्य में सफलता पाना चाहते हैं, नई दुकान खोलना चाहते हैं या नई नौकरी ज्वाइन करना चाहते हैं तो अक्षय तृतीया का दिन बेहद शुभ है. अक्षय तृतीया पर शुक्रवार दिन का संयोग बना है. शुक्रवार को माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है. ऐसे में आप माता लक्ष्मी से जुड़े उपाय करके सुख और समृद्धि बढ़ा सकते हैं. शुक्रवार के दिन शुक्र के मंत्र का जाप करके शुक्र दोष से मुक्ति पा सकते हैं. वैदिक पंचांग से जानते हैं अक्षय तृतीया के दिन का शुभ मुहूर्त, रवि योग, राहुकाल, दिशाशूल, शिववास, सूर्योदय, चंद्रोदय, सूर्यास्त, चंद्रास्त, आदि।
आज का पंचांग, 10 मई 2024
आज की तिथि- तृतीया – 02:50 एएम, 11 मई तक, उसके बाद चतुर्थीआज का नक्षत्र- रोहिणी – 10:47 एएम तक, फिर मृगशिराआज का करण- तैतिल – 03:29 पीएम तक, उसके बाद गर – 02:50 एएम, 11 मई तकआज का योग- अतिगण्ड – 12:07 पीएम तक, फिर सुकर्माआज का पक्ष- शुक्लआज का दिन- शुक्रवारचंद्र राशि- वृषभ – 10:26 पीएम तक, फिर मिथुन
सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय- 05:33 एएमसूर्यास्त- 07:02 पीएमचन्द्रोदय- 06:57 एएमचन्द्रास्त- 09:45 पीएमअभिजीत मुहूर्त- 11:51 एएम से 12:45 पीएम तकब्रह्म मुहूर्त- 04:09 एएम से 04:51 एएम तक
अक्षय तृतीया 2024 योग
रवि योग: 10:47 एएम से 05:33 एएम, 11 मई तक
शिववास
सभा में – 02:50 एएम, 11 मई तक, उसके बाद क्रीड़ा में
अक्षय तृतीया (अखातीज) को अनंत-अक्षय-अक्षुण्ण फलदायक कहा जाता है। जो कभी क्षय नहीं होती उसे अक्षय कहते हैं। बताया जाता है कि वर्ष में साढ़े तीन अक्षय मुहूर्त है। जिसमें प्रथम व विशेष स्थान अक्षय तृतीया का है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर के पूछने पर यह बताया था कि आज के दिन जो भी रचनात्मक या सांसारिक कार्य करोगे, उसका पुण्य मिलेगा। इस दिन को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है।
पौराणिक घटनाएं : इस दिन भगवान नर-नारायण सहित परशुराम और हय ग्रीव का अवतार हुआ था। इसके अलावा, ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का जन्म भी इसी दिन हुआ था। कुबेर को खजाना मिला था। मां गंगा का अवतरण भी इसी दिन हुआ था। सुदामा भगवान कृष्ण से मिलने पहुंचे थे। इसी दिन सतयुग और त्रैतायुग का प्रारंभ हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ। अक्षय तृतीया के दिन से ही वेद व्यास और भगवान गणेश ने महाभारत ग्रंथ लिखना शुरू किया था। आदि शंकराचार्य ने कनकधारा स्तोत्र की रचना की थी। इसी दिन महाभारत की लड़ाई खत्म हुई थी। प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभदेवजी भगवान के 13 महीने का कठीन उपवास का पारणा इक्षु (गन्ने) के रस से किया था।