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हिमाचल में सरकारी कर्मियों को ओपीएस मिलना शुरू, डीए, एरियर समेत कई मांगें अभी भी है अधूरी…

शिमला: हिमाचल की राजनीति कर्मचारियों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। किसान-बागवानों के बाद कर्मचारियों और पेंशनरों को बड़ा वर्ग माना जाता है। कर्मचारी हिमाचल के हर घर को प्रभावित करता है। अधिकांश घरों में कोई न कोई सरकारी क्षेत्र में सेवाएं दे रहा है, ऐसे में पार्टी के नेता भी कर्मियों को खुश करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। सत्ता पलटने, नई सरकार चुनने में इनका बड़ा हाथ रहता है। कांग्रेस पार्टी भी कर्मचारियों के बलबूते सत्ता में आई है। विस चुनाव से पहले की कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम, कंप्यूटर और एसएमसी शिक्षकों को नियमित करने, विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती जैसी घोषणा को सिरे चढ़ाकर कांग्रेस ने कर्मियों का विश्वास जीतने की कोशिश जरूर की है लेकिन लंबित 12% डीए, एरियर का भुगतान, अनुबंध काल को सेवाकाल में जोड़ने, साल में दो बार नियमित करने आदि मांगें पूरी नहीं हो पाईं। मांगें पूरा करने के लिए कर्मचारी लगातार आवाज उठाते आ रहे हैं।  हिमाचल प्रदेश की आबादी 80 लाख के करीब है। आंकड़ों पर गौर करें तो हिमाचल में ढाई लाख कर्मचारी और डेढ़ लाख के करीब पेंशनर हैं। इसके अलावा सिंचाई अध्यापिका, आंगनबाडी़, कार्यकर्ता, मल्टी टास्क वर्कर, जलवाहक, पैरा फीटर, आशा वर्कर, पंचायत चौकीदार, राजस्व चौकीदार, नंबरदार आदि को मिलाकर ये आंकड़ा दो लाख और बढ़ जाता है। प्रदेश सरकार की ओर से हर बार बजट में कर्मचारियों को कुछ न कुछ राहत दी जाती है। इस बार लोक निर्माण विभाग में मल्टी टास्क वर्कर के मानदेय में बढ़ोतरी न होने मामला सदन में गूंजा, लेकिन मुख्यमंत्री सुक्खू ने बजट पारित होने के तीसरे दिन ही इनके मानदेय में 500 रुपये बढ़ोतरी की घोषणा कर मामले को बढ़ने नहीं दिया।

100 में से वेतन पर 25, पेंशन पर जाते हैं 17 रुपये
वर्ष 2024 -25 के बजट के अनुसार 100 रुपये में से वेतन पर 25 रुपये, पेंशन पर 17 रुपये और संस्थानों की ग्रांट पर 10 रुपये और शेष 28 रुपये पूंजीगत कार्यों सहित अन्य गतिविधियों पर पर व्यय किए जाते हैं।

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