मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने विभिन्न मतदान केन्द्रों का किया निरीक्षण…

सोलन : मुख्य निर्वाचन अधिकारी हिमाचल प्रदेश मुनीष गर्ग ने आज सोलन ज़िला के विधानसभा क्षेत्र 54-कसौली (अ.जा.) के अंतर्गत विभिन्न मतदान केन्द्रों का निरीक्षण किया। मुनीष गर्ग ने फोटोयुक्त मतदाता सूचियों का 27 अक्तूबर, 2023 से 09 दिसम्बर, 2023 तक विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम के तहत मतदान से सम्बन्धित कार्य का निरीक्षण किया। उन्होंने सभी बूथ स्तर के अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस कार्यक्रम के तहत 18 से 19 आयु वर्ग के सभी मतदाताओं का नाम मतदाता सूची में दर्ज करने के लिए विशेष प्रयास करें।

उन्होंने बूथ स्तर के अधिकारियों को निर्देश दिए कि घर-घर जाकर मतदाताओं के सत्यापन कार्यक्रम के दौरान पंजीकरण से वंचित अन्य सभी पात्र नागरिकों के नाम भी मतदाता सूची में जोड़ना सुनिश्चित करें। उन्होंने मतदाता सूची में मृत, स्थानांतरित और दोहरे पंजीकृत मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने 18 व 19 नवम्बर, 2023 को विशेष अभियान दिवसों पर अधिक से अधिक पात्र नागरिकों को जोड़ने के बूथ स्तर के अधिकारियों को निर्देश दिए।
इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त सोलन अजय कुमार यादव, निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी एवं उपमण्डलाधिकारी कसौली गौरव महाजन, तहसीलदार निर्वाचन सोलन राजेश शर्मा उपस्थित थे।

8वां राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस हुआ आयोजित…

सोलन : ज़िला आयुर्वेदिक अस्पताल सोलन में आज 8वां राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस आयोजित किया गया। यह जानकारी आज यहां ज़िला आयुष अधिकारी सोलन डॉ. प्रवीन शर्मा ने दी। भगवान धन्वंतरि जयंती के अवसर पर आयुर्वेदिक अस्पताल सोलन में पूजा-अर्चना व यज्ञ का आयोजन किया गया।

डॉ. प्रवीन शर्मा कहा कि भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं। व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाने में आयुर्वेद एक अहम भूमिका निभा सकता है। इस उद्देश्य से धन्वंतरि जयंती को आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद दिवस के अवसर पर पूर्व तीन सप्ताह से ज़िला में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे थे। इन कार्यक्रमों में आयुर्वेद से व्यक्ति के जीवन में होने वाले सकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूक किया गया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रमों के माध्यम से ज़िला में लगभग 16,500 लोग लाभान्वित हुए।
इस अवसर पर आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी, ज़िला आयुर्वेदिक अस्पताल के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।

संयुक्त प्रयास से ही युवाओं को नशे से दूर रखा जा सकता है – अजय कुमार यादव

सोलन : नशामुक्त भारत अभियान के सफल आयोजन के लिए विभिन्न विभागों, स्वयंसेवी संस्थाओं और आमजन का समन्वय आवश्यक है। अतिरिक्त उपायुक्त सोलन अजय कुमार यादव आज यहां नशा मुक्ति के लिए संयुक्त कार्य योजना के तहत आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

अजय कुमार यादव ने कहा कि इस बैठक का मुख्य उद्देश्य युवाओं में नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाली शारीरिक समस्याओं, समाज में इस कारण फैलने वाली कुरीतियों व इससे होने वाली आकस्मिक मौतों के बारे में जागरूकता लाना है।
अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि संयुक्त समिति ज़िला नशामुक्त अभियान के कार्यान्वयन को सफल बनाएगी। समिति ज़िला के विभिन्न विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में छात्रों, अध्यापकों और अभिभावकों के लिए नशा निवारण के संबंध में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करेगी।
उन्होंने कहा कि 20 नवंबर से 10 दिसंबर, 2023 तक बाल एवं किशोर श्रमिकों का बचाव एवं पुनर्वास अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत विभिन्न कार्यक्रम एवं गतिविधियों के माध्यम से युवाओं को नशे से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि युवाओं को नशे की लत से दूर रखने के उद्देश से विभिन्न स्वैच्छिक संगठनों और अन्य पात्र एजेंसियों को बेहतर समन्वय के साथ कार्य करना होगा ताकि युवाओं में नशे के प्रचलन को बढ़ने से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि संगठन एवं पात्र एजेंसियां मदिरा व अन्य मादक द्रव्यों के सेवन की रोकथाम के लिए नशे के आदी लोगों की पहचान करें तथा परामर्श के माध्यम से उनका उपचार और पुनर्वास के लिए कार्य करना सुनिश्चित करें।
इस अवसर पर उपमण्डलाधिकारी कण्डाघाट सिद्धार्थ आचार्य, उपमण्डलाधिकारी अर्की यादविंदर पाल, मुख्य चिकित्सा अधिकारी सोलन डॉ. राजन उप्पल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बद्दी रमेश शर्मा, उप निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा डॉ. जगदीश नेगी, सीडीपीओ सोलन कविता गौतम, ज़िला कल्याण अधिकारी सोलन गावा नेगी सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

चार विधानसभा क्षेत्रों के किसान परेशान, आखिर कब होगा सुकेती खड्ड का चैनलाइजेशन….

सुंदरनगर : सुंदरनगर विधानसभा क्षेत्र से उदगम होने वाली सुकेती खड्ड नाचन और बल्ह से होती हुई मंडी सदर विधानसभा क्षेत्र आकर ब्यास नदी में समाहित हो जाती है। इस खड्ड के प्रकोप से हर साल सबसे ज्यादा किसान बल्हघाटी के प्रभावित होते हैं। बीबीएमबी भी अपनी झील से निकलने वाली सारी सिल्ट इसी खड्ड में फैंकता है, जिसका किसानों को अगल से खामियाजा भुगतना पड़ता है। इस बार के बरसात के मौसम में भी सुकेती खड्ड ने अपना भयंकर वाला रौद्र रूप दिखाया और किसानों की हजारों बीघा भूमि को तबाह कर गई। सुंदरनगर विधानसभा क्षेत्र से उदगम होने वाली सुकेती खड्ड नाचन और बल्ह से होती हुई मंडी सदर विधानसभा क्षेत्र आकर ब्यास नदी में समाहित हो जाती है। इस खड्ड के प्रकोप से हर साल सबसे ज्यादा किसान बल्हघाटी के प्रभावित होते हैं। बीबीएमबी भी अपनी झील से निकलने वाली सारी सिल्ट इसी खड्ड में फैंकता है, जिसका किसानों को अगल से खामियाजा भुगतना पड़ता है। इस बार के बरसात के मौसम में भी सुकेती खड्ड ने अपना भयंकर वाला रौद्र रूप दिखाया और किसानों की हजारों बीघा भूमि को तबाह कर गई।

हिमाचल किसान यूनियन के प्रधान सीता राम वर्मा, किसान धर्म चंद चौधरी और भारत भूषण ने बताया कि वे लंबे समय से इस खड्ड के चैनलाइजेशन की बातें सुनते आ रहे हैं। कई बार सरकार के समक्ष इस विषय को भी उठाया भी। लेकिन धरातल पर बहुत ही धीमी गति से काम हो रहा है। इन्होंने सरकार से इस विषय में तेजी लाने की गुहार लगाई है।

वहीं, जब इस बारे में बल्ह से भाजपा के विधायक इंद्र सिंह गांधी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सुकेती खड्ड के चैनलाइजेशन की 485 करोड़ की डीपीआर को केंद्र सरकार से मंजूरी मिल चुकी है। जैसे ही इसके लिए बजट का आबंटन हो जाएगा तो उसके बाद इसका निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने इसके लिए पूर्व में रहे सीएम जयराम ठाकुर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार भी जताया। उन्होंने कहा कि सुकेती खड्ड का चैनलाइजेशन होना बेहद जरूरी है क्योंकि यह हर वर्ष किसानों को भारी नुकसान पहुंचा रही है।

शिमला : खराब मौसम के चलते मुख्यमंत्री का प्रदेश आगमन हुआ स्थगित…

शिमला : प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि दिल्ली और शिमला में खराब मौसम के कारण मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का शिमला आगमन स्थगित हो गया है। दिल्ली में आज खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर पाया। अब मुख्यमंत्री का शनिवार को शिमला में आगमन अपेक्षित है।

सोलन : त्यौहार के दौरान सुरक्षा, कानून व्यवस्था के संचालन में पुलिस एवं प्रशासन का नागरिक करें सहयोग….

सोलन : त्यौहारी सीजन के दौरान जिला पुलिस सोलन सभी प्रकार की सुरक्षा और क़ानून व्यवस्था की गतिविधियों पर लगातार नज़र बनाये हुए है। एसपी सोलन गौरव सिंह ने बताया कि किसी भी असूचना पर पर त्वरित कार्रवाई करके उसे वेरिफाई किया जा रहा है और इसी के दृष्टिगत ज़िला में सार्वजनिक स्थानों, महत्वपूर्ण संस्थानों इत्यादि पर गहन चेकिंग की जा रही है जिससे सुरक्षा व्यवस्था को और मज़बूत किया जा सके। सोलन जिला की  पुलिस ने सभी से अनुरोध करते हुए कहा कि किसी भी प्रकार की अफ़वाहों को सोशल मीडिया पर साझा न करे। ऐसी सूचना मिलने पर तुरंत जिला प्रशासन से संपर्क करके सूचना को वेरिफाई करें।

Green Crackers: हिमाचल में दीपावली पर दो घंटे सिर्फ ग्रीन पटाखे ही जला सकेंगे लोग…

हिमाचल प्रदेश में दिवाली की रात 8 से 10 बजे के बीच ही ग्रीन पटाखे जलाए जा सकेंगे। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों के बाद सरकार ने यह फैसला लिया है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सभी जिलों के उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर आदेशों को सख्ती से लागू करवाने के निर्देश दिए हैं। बोर्ड के सदस्य सचिव अनिल जोशी ने बताया कि एनजीटी की ओर से वायु प्रदूषण के लिहाज से अति संवेदनशील शहरों में पटाखों पर प्रतिबंध लगाया है। जबकि मॉडरेट और सामान्य श्रेणी में आने वाले शहरों में सिर्फ ग्रीन पटाखे दो घंटे चलाने की छूट दी गई है। साइलेंस जोन में पूर्ण प्रतिबंध, ठोस सजा का प्रावधान
सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार साइलेंस जोन अस्पताल, नर्सिंग होम, प्राथमिक एवं जिला स्वास्थ्य केंद्र, शैक्षणिक संस्थान परिसर के 100 मीटर के दायरे में पटाखे फोड़ने पर पूर्ण पाबंदी है। वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1981, ध्वनि प्रदूषण विनियमन और नियंत्रण नियम 2,000 और पर्यावरण सरंक्षण अधिनियम 1986 के उल्लंघन पर 5 साल कारावास या एक लाख रुपये जुर्माना हो सकता है।

क्या होते हैं ग्रीन पटाखे

केंद्रीय संस्थान सीएसआईआर एनईईआरई ने ग्रीन पटाखे विकसित किए हैं। इनमें एलुमिनियम व पोटेशियम नाइट्रेट जैसे रसायनों की मात्रा नहीं होती है। अगर पटाखों में मात्रा हुई भी तो उसे इतना कम रखा जाता है ताकि धुआं व प्रदूषण न्यूनतम हो।

उल्लुओं का दीपावली कनेक्शन और करोड़ों की लगती बोली, हाई डिमांड पर वन विभाग अलर्ट….

इटावा : उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के बीहड़ों में बड़े पैमाने पर विभिन्न प्रजाति के उल्लू पाए जाते हैं जिनको पकड़ने के लिए तस्कर दीपावली से पहले व्यापक पैमाने पर सक्रिय हो जाते हैं. कई दफा तस्करों को उल्लुओं के साथ में गिरफ्तार भी किया जा चुका है. हालांकि कुछ वर्षों से यह सिलसिला वन विभाग की सक्रियता से रुका हुआ नजर आ रहा है. लेकिन, इटावा में दीपावली पर्व पर उल्लू पक्षी की बलि की आशंकाओं के मद्देनजर वन विभाग की ओर से हाई अलर्ट किया गया है.

इटावा जिला प्रभागीय वन अधिकारी अतुलकांत शुक्ला ने न्यूज 18 को एक विशेष भेंट में बताया कि वन विभाग की ओर से यह अलर्ट इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि इटावा के बीहड़ों में बड़े पैमाने पर उल्लू पाए जाते हैं और इसी दौरान तस्कर उल्लू पक्षी को पकड़ने के लिए सक्रिय हो जाते हैं. तस्कर उल्लू पक्षी को ना पकड़ सके इसलिए वन विभाग की ओर से विभागीय अधिकारियों कर्मियों को सक्रिय करने के साथ-साथ गुप्तचर को भी व्यापक सतर्क कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि सभी वन क्षेत्राधिकारियों के साथ-साथ में वन वाचर और गुप्तचर को सख्त दिशा निर्देश देकर के तस्करों की गतिविधियों के मद्देनजर सक्रिय किया गया है.

पुजारी दिनेश तिवारी बताते हैं कि उनके पास कई ऐसे लोग आ चुके हैं जो सफेद और मटमैले रंग के उल्लुओं की मांग कर चुके हैं. इसके एवज में एक-एक करोड़ रुपए देने के लिए तैयार भी हुए हैं. इन रंग के उल्लुओं की मांग करने वाले ऐसा भी कहते रहे हैं कि अगर उनको उल्लू मिल जाएगा वह कई सौ करोड़ रुपये कमा सकते हैं. ऐसे में इटावा में पाए जाने वाले दुर्लभ उल्लुओं की जान पर दीपावली के करीब आते ही मुश्किलें आनीं शुरू हो जातीं हैं, क्योंकि तंत्र साधना से जुड़े लोग दीपावली पर इसकी बलि चढ़ाने की दिशा में सक्रिय हो जाते हैं. इस संबंध में चंबल सेंचुरी के कर्मियों को सतर्क कर दिया गया है, ताकि कोई भी शिकारी बलि चढ़ाने के लिहाज से उल्लुओं को पकड़ने मे कामयाब नहीं हो.दरअसल, यह विडंबना ही है कि अधिक संपन्न होने के फेर मे कुछ लोग दुर्लभ प्रजाति के संरक्षित वन्यजीव उल्लुओं की बलि चढ़ाने की तैयारी मे जुट गए हैं. यह बलि सिर्फ दीपावली की रात को ही पूजा अर्चना के दौरान दी जाती है. इन लोगों का मानना है कि उल्लू की बलि देने वाले को बेहिसाब धन मिलता है. यही कारण है कि चंबल सेंचुरी के कर्मियों के अलावा मुखबिरों को भी सर्तक किया गया है जिनसे निजी तौर पर संपर्क करके रखा गया है. चंबल सेंचुरी में पर्थरा गांव के पास महुआसूडा नामक स्थान के अलावा गढायता गांव के पास चंबल नदी के किनारे देखे गये हैं.

बता दें कि उल्लू भारतीय वन्य जीव अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 के तहत संरक्षित है, यह विलुप्तप्राय जीवों की श्रेणी में दर्ज है. इनके शिकार या तस्करी करने वालों को कम से कम 3 वर्ष या उससे अधिक सजा का प्रावधान है. चंबल सेंचुरी क्षेत्र में यूरेशियन आउल अथवा ग्रेट होंड आउल और ब्राउन फिश आउल का शिकार प्रतिबंधित हैं. इसके अलावा भी कुछ ऐसी प्रजातियां हैं जिन पर प्रतिबंध है. सेंचुरी क्षेत्र में इनकी खासी संख्या हैं क्योंकि इस प्रजाति के उल्लू चंबल के किनारे करारों में घोंसला बनाकर रहते हैं इस प्रकार के करारों की सेचुंरी क्षेत्र में कमी नहीं है.

पूरी दुनिया में उल्लू की लगभग 225 प्रजातियां हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में चंबल के उल्लुओं की कई दुर्लभ प्रजातियों की जबरदस्त मांग है. यही वजह है कि चंबल के बीहड़ इलाकों में उल्लू तस्करों का निशाना बन रहे हैं और इन्हें तस्करी कर दिल्ली, मुंबई से लेकर जापान, अरब और यूरोपीय देशों में भेजे जाने की बातें कही जाती है. दीपावली पर्व से काफी पहले से ही तस्कर उल्लुओं की तलाश में चंबल का चक्कर लगा रहे हैं. आमतौर पर आर्थिक रूप से सुदृढ़ लोग ही पूजा में उल्लुओं का प्रयोग करते हैं, क्योंकि इस प्रजाति के उल्लू आसानी से सुलभ न होने के कारण इसकी कीमत लाखों रुपए होती है. जानकारों की मानें तो दिल्ली एवं मुंबई जैसे महानगरों में बैठे बड़े-बड़े कारोबारी इन तस्करों के जरिए संरक्षित जीव की तस्करी में जुट गए हैं. इतना ही नहीं तंत्र विद्या से जुडे लोगों की मानें तो इस पक्षी के जरिए तमाम बड़े-बड़े काम कराने का माद्दा तांत्रिक प्रकिया से जुड़े लोग करने में सक्षम रहे हैं.

अगर बंगाल का ही हम जिक्र करें तो वहां पर बिना उल्लू के कोई भी तंत्र क्रिया नहीं की जाती है. इसके अलावा काला जादू में भी उल्लुओं का व्यापक प्रयोग किया जाता है. वन्य जीवों के संरक्षण के लिए काम कर रही चंबल घाटी से लगातार उल्लुओं की तस्करी के मामले उजागर हो रहे हैं, इसको लेकर सभी सतर्क हैं. तंत्र विद्या के अलावा इनका असल इस्तेमाल आयुर्वेदिक पद्धति में भी किया जाना बताया जाता है. यह वाइल्ड लाइफ अधिनियम के तहत प्रतिबंधित जीव है और इसका शिकार करना अथवा पकड़ना कानूनन अपराध है.

हालांकि, कई संस्कृतियों के लोकाचार में उल्लू को अशुभ माना जाता है, लेकिन साथ ही संपन्नता और बुद्धि का प्रतीक भी. यूनानी मान्यताओं में उल्लू का संबंध कला और कौशल की देवी एथेना से माना गया है और जापान में भी इसे देवताओं का संदेशवाहक समझा जाता है. वहीं, हिदू मान्यताओं के अनुसार, धन की देवी लक्ष्मी उल्लू पर विराजती हैं और भारत में यही मान्यता इस पक्षी की जान की दुश्मन बन गई है. यही वजह है कि दीपावली के ठीक पहले के कुछ महीनों में उल्लू की तस्करी काफी बढ़ जाती है. हर साल भारत के विभिन्न हिस्सों में दीपावली की पूर्व संध्या पर उल्लू की बलि चढ़ाने के सैंकड़ों मामले सामने आते हैं.

Mumbai Accident: मुंबई में दिल दहला देने वाला सड़क हादसा, कार ने 6 गाड़ियों को मारी टक्कर, तीन लोगों की मौत

Mumbai Accident : मायानगरी मुंबई में गुरूवार देर रात को बड़ा सड़क हादसा हो गया। बांद्रा में एक तेज रफ्तार में आ रही कार अचानक अनियंत्रित हो गई और छह गाड़ियों से जा टकराई। इस हादसे में तीन लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 6 लोग जख्मी हो गए। जिनमें दो की हालत काफी गंभीर बताई जा रही है। आननफानन में घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

जानकारी के मुताबिक, आरोपी ड्राइवर ने सी लिंक पर पहले अपनी कार से एक दूसरी गाड़ी को टक्कर मार दी थी। इसके बाद उसने पकड़े जाने के डर से कार की स्पीड और बढ़ा दी और वहां से भागने की कोशिश करने लगा। अधिक रफ्तार के कारण कार उसके नियंत्रण से बाहर जा चुकी थी और उसने वहां खड़ी कई और गाड़ियों को टक्कर मार दी।

6 कारें बुरी तरह क्षतिग्रस्त

मुंबई जोन 9 के डीसीपी कृष्णकांत उपाध्याय ने बताया कि तेज रफ्तार में एक इनोवा कार गुरूवार रात करीब सवा दस बजे वर्ली से बांद्रा की ओर जा रही थी। सी लिंक पर बने टोल प्लाजा से 100 मीटर पहले एक वो एक मर्सिडीज से टकराई। इसके बाद वह दो-तीन और दूसरी कारों से भी जा टकराई। हादसे में मर्सिडीज, इनोवा समेत 6 कारें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं।

हिरासत में लिया गया ड्राइवर

पुलिस ने बताया कि हादसे में घायल हुए छह लोगों में से चार की हालत स्थिर है और दो की गंभीर। गंभीर रूप से घायल लोगों में से एक का इलाज अस्पताल लीलावती में चल रहा है और अन्य पांच भाभा अस्पताल में भर्ती हैं। घायलों में आरोपी इनोव ड्राइवर भी शामिल है। उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद उसके खिलाफ आगे की कार्रवाई की जाएगी।

वहीं, हादसे में जान गंवाने वाले तीन लोगों की शिनाख्त कर ली गई है। उनके परिजनों को भी सूचित कर दिया गया है। शवों के पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया जाएगा। उधर, सी लिंक से देर रात हादसे में क्षतिग्रस्त हुई गाड़ियों को हटाने का काम भी जारी है।

दीपावली पर मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना से जगमगाएगा निराश्रितों का आंगन….

शिमला : इस दीपावली पर जब प्रदेश भर में माँ लक्ष्मी की आराधना में लाखों दिए जलाये जाएंगे तो इनमें कई ऐसे दिए भी होंगे जो प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत प्रदान किये जा रहे उत्सव भत्ते के कारण रोशन होंगे। जब प्रदेश के लाखों घरों में खुशियों की फुलझड़ियां जल रही होंगी तो कई चेहरे इसलिए खिल रहे होंगे। क्यूंकि वो अब निराश्रित नहीं बल्कि ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ हैं यानी कि प्रदेश सरकार उनकी माता और पिता है। इस बार बाल देखभाल संस्थानों में रह रहे बच्चों के आँगन में भी दिए जगमगाएंगे, पटाखे फूटेंगे और मिठाइयां बंटेगी। वह भी दीपावली उत्सव धूमधाम से मनाएंगे।

वर्तमान प्रदेश सरकार ने राज्य के बाल देखभाल संस्थानों में रह रहे बच्चों (चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट) को दीपावली पर्व पर उत्सव भत्ते के रूप में 5,27,000 रुपये जारी कर दिए हैं। इसके अलावा इन संस्थानों को भी दीपावली के उपलक्ष्य पर 3,27,500 रुपये जारी किये गए हैं, ताकि इन संस्थानों में भी इस त्यौहार से सम्बन्धी सभी तैयारियां समय पर सुनिश्चित की जा सके। सरकार द्वारा सभी ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ को त्योहारों पर उत्सव भत्ते के रूप में 500 रूपए प्रति बच्चा प्रदान किये जाते हैं। इसके अलावा उन बाल देखभाल संस्थानों को, जिनमें बच्चों के रहने की क्षमता 25 या इससे कम हो, उन्हें 5,000 तथा 25 से अधिक की क्षमता वाले बाल देखभाल संस्थानों को 10,000 रूपए प्रदान किए जाते हैं।

इससे पूर्व राज्य सरकार ने दशहरा उत्सव पर भी उत्सव भत्ते के रूप में इन बच्चों को 5,27,000 रुपये व बाल देखभाल संस्थानों को 3,27,500 रुपये जारी किये थे। इन त्योहारों पर सरकार द्वारा कुल 17,09,000 रुपये जारी किए गए हैं। सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सरकार के गठन के तुरंत बाद अपने पहले निर्णय में समाज के संवेदनशील आश्रित वर्ग का सहारा बनने का संकल्प लेते हुए मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना की शुरुआत की थी। मानवीय संवेदनाओं को अधिमान देते हुए सरकार ने अनाथ बच्चों और अन्य निराश्रितों के उत्थान के लिए कई कदम उठाये हैं। प्रदेश सरकार 27 वर्ष तक के अनाथ बच्चों को 4,000 रुपये मासिक जेब खर्च, कोचिंग के लिए एक लाख, तीन बिस्वा भूमि और मकान निर्माण के लिए 3 लाख रुपये, विवाह के लिए दो लाख रुपये का अनुदान और सूक्ष्म व लघु उद्योग लगाने के लिए दो लाख रुपये का अनुदान प्रदान कर रही है। जनहितैषी मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत मुख्यमंत्री सुख आश्रय कोष का भी गठन किया गया है, जिसमें मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने एक माह का वेतन तथा कांग्रेस विधायकों ने एक-एक लाख रुपये दिए हैं। दानी-सज्जन भी इसमें यथासंभव योगदान दे रहे हैं। इस कोष के गठन का उद्देश्य जरूरतमंदों के लिए निकट भविष्य में सुविधा, सम्पन्नता और सामान अवसर के मार्ग प्रशस्त करना है। इन हितकारी निर्णयों से यह स्पष्ट है की प्रदेश सरकार सत्ता सुख भोगने के लिए नहीं अपितु व्यवस्था परिवर्तन के उद्देश्य को सार्थक करने के संकल्प के दृष्टिगत कल्याणकारी निर्णय ले रही है और इस नीति वाक्य को अपना मूल सिद्धांत मानकर आगे बढ़ रही है।