



शिमला: हिमाचल के स्पीति घाटी से सीमांत क्षेत्र लद्दाख को जोड़ने के लिए सामरिक महत्व की सड़क को लेकर केंद्र सरकार ने प्रयास तेज कर दिए हैं। बारालाचा और शिंकुला के बाद ताकलिंग दर्रा होकर भी हिमाचल से लद्दाख की तरफ सड़क बनने जा रही है। हिमाचल के स्पीति घाटी से सीमांत क्षेत्र लद्दाख को जोड़ने के लिए सामरिक महत्व की सड़क को लेकर केंद्र सरकार ने प्रयास तेज कर दिए हैं। रक्षा मंत्रालय लाहौल-स्पीति जिले की स्पीति घाटी के क्याटो गांव से लद्दाख को डबललेन मार्ग से जोड़ने जा रहा है। डबललेन से भारतीय सेना की चीन सीमा तक पहुंच आसान होगी। इस सामरिक महत्व के मार्ग के निर्माण के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) का दीपक और हिमांक प्रोजेक्ट पिछले लंबे समय से काम कर रहे हैं। यह मार्ग साल के बारह महीने ट्रैफिक के लिए खुला रहेगा और हिमाचल व लद्दाख की दूरी को पाटने के लिए ताकलिंग दर्रा में साढ़े तीन किमी लंबी सुरंग का निर्माण भी किया जा रहा है। सुरंग बन जाने से स्पीति के क्याटो से लद्दाख के छोमोरीरी तक लगभग 18 किमी दूरी और कम होगी। टनल और सड़क के डीपीआर रिपोर्ट तैयार करने के लिए बीआरओ ने निविदाएं जारी की हैं। बीआरओ ने ग्राउंड लेवल पर सर्वेक्षण पूरा कर अब इसकी डीपीआर बनाने के लिए टेंडर जारी किया है। इस मार्ग की खास बात यह है कि क्याटो से लद्दाख बीच में महज एक दर्रा पड़ता है। सड़क बन जाने के बाद सेना के साथ आम लोगों को 18,290 फुट ऊंचा एकमात्र ताकलिंग दर्रा ही पार करना पड़ेगा। बीआरओ स्पीति के क्याटो से करीब 125 किलोमीटर लंबी नई सड़क का निर्माण कर इसे लद्दाख के कोरजोक स्थित त्सोमोरीरी झील तक निकालेगा। राहत की बात है कि क्याटो से निकलने वाली सड़क के बीच मनाली-लेह मार्ग की तरह दर्जनों दर्रे नहीं होंगे। बताया जा रहा है कि क्कोटो से आगे कुछ किलोमीटर रास्ता ही पहाड़ी व पथरीला है। लोसर वार्ड से जिप सदस्य संडूप टशी ने बताया कि 2011 में बीआरओ के अधिकारियों के साथ क्याटो से कोरजोक तक किए सर्वे में वह भी मौजूद थे। कहा कि यह मार्ग स्पीति घाटी को लद्दाख से जोड़ेगा।