



सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. साल में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, जिसमें एक शारदीय नवरात्रि, दूसरा चैत्र नवरात्रि तथा दो गुप्त नवरात्रि होते हैं. तंत्र विद्या सीखने वाले जातक के लिए गुप्त नवरात्रि विशेष फलदायी मानी जाती है. नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी दुर्गा के अनेक स्वरूपों की पूजा करने का विधान है, लेकिन नवरात्रि की नवमी और अष्टमी तिथि बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. जानते हैं कि गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि कब है और क्या शुभ मुहूर्त है साथ ही पूजा विधि क्या है.
इस दिन है अष्टमी
अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 5 फरवरी को रात्रि 2:30 बजे हो रही है. जिसका समापन 6 फरवरी को रात्रि 12:35 पर होगा. ज्योतिष गणना के अनुसार, 5 फरवरी यानी कि आज के दिन माघ माह की गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि है. आज के दिन ब्रह्म अथवा शुक्ल योग का निर्माण भी हो रहा है. इस शुभ अवसर पर मां दुर्गा की पूजा-आराधना करने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होंगी.
इन बातों का रखें ध्यान
गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए, माता दुर्गा का ध्यान करना चाहिए, घर की साफ-सफाई करनी चाहिए. दैनिक कर्मों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से घर में छिड़काव करना चाहिए, सूर्य भगवान को जल अर्पित करना चाहिए. इसके बाद पूजा घर में चौकी पर लाल रंग का वस्त्र डालकर मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए, फिर विधि-विधान पूर्वक पूजा-आराधना करनी चाहिए. गुप्त नवरात्रि की पूजा गृहस्थों के लिए नहीं बतायी जाती है. हालांकि इस दौरान सामान्य रूप से मां की पूजा की जा सकती है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से की गई पूजा का फल जरूर मिलता है और माता सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. ऐसे तो नवरात्रि के सभी दिन विशेष होते हैं पर अष्टमी और नवमी का विशेष महत्व होता है।