



लाइव हिमाचल/मंडी:हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। देवभूमि के कई मंदिर रहस्यों से भरे पड़े हैं। इन मंदिरों से जुड़ी देव आस्था की बातें हर किसी को हैरान कर देती हैं। ऐसा ही एक मंदिर मंडी शहर में स्थित है। बात हो रही है बाबा भूतनाथ मंदिर की। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव से एक माह पूर्व से बाबा भूतनाथ मंदिर में प्राचीन समय से मक्खन चढ़ाने की परंपरा को कायम रखते हुए हर रोज अलग-अलग रूपों का शृंगार किया जाता है। इस बार भी तारा रात्रि (सोमवार रात्रि) 11 बजे से लेकर सुबह चार बजे तक बाबा भूतनाथ का 21 किलो मक्खन के साथ विशेष शृंगार किया। स्वयंभू शिवलिंग का मक्खन से शृंगार होते ही महाशिवरात्रि के कारज शुरू हो गए हैं। अब एक महीने तक हर रोज शिवलिंग पर अलग-अगल रूपों को उकेरा जाएगा। दो से अढाई क्विंटल मक्खन इस अवधि में शिवलिंग पर चढ़ाया जाएगा।बाबा भूतनाथ मंदिर के पुजारी महंत दयानंद सरस्वती ने बताया कि मक्खन का लेप लगाने के लिए बड़ी संख्या में लोग मंदिर में मौजूद रहे। मंदिर पहुंचे स्थानीय निवासी पवन कुमार और विद्या शर्मा ने बताया कि बाबा भूतनाथ मंदिर पर मक्खन का लेप लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। प्राचीन परंपरा का निर्वाह करते हुए मंडी के आराध्य देव बाबा भूतनाथ में शिवलिंग का शृंगार मक्खन के लेप की विधि धृत कंबल से किया जाता है। शिवरात्री के एक दिन पहले इस लेप को निकाला जाएगा। मान्यता है कि वैदिक काल से यह परंपरा चली आ रही हैं। मंदिर के महंत देवानंद सरस्वती के अनुसार हर शाम जब वह साधना में होते हैं। इस दौरान उन्हें जिस भी देवी-देवता का स्वरूप दिखता है, उसे मक्खन के शिवलिंग में उकेर देते हैं। इस तरह यहां श्रद्धालुओं को देश भर में पूजे जाने वाले प्रमुख देवी-देवताओं के दर्शन होते हैं। हालांकि, इसके वैज्ञानिक पहलू भी हैं लेकिन देव आस्था इन वैज्ञानिक पहलुओं पर हावी रहती है। करीब 30 दिन तक शिवलिंग पर किसी भी प्रकार का जल नहीं चढ़ाया जाता।