



लाइव हिमाचल/शिमला: प्रदेश की राजधानी शिमला के रिज मैदान, माल रोड व अन्य क्षेत्रों पर दिन के समय लोग धूप सेंकते दिखाई दे रहे हैं। दिन ढलने तक अधिकतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है। वहीं, न्यूनतम तापमान पांच डिग्री सेल्सियस के आसपास है। राजधानी का तापमान सात साल बाद दो दिन पहले सबसे ज्यादा 21 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो कि सामान्य से सात डिग्री ज्यादा था। इससे पहले 2017 में शिमला का तापमान 21.3 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था।हिमपात का सामान्य सीजन जनवरी के अंत से फरवरी के दूसरे सप्ताह तक रहने लगा है। दो सप्ताह पहले शिमला शहर के कुछ भागों में हल्का हिमपात हुआ था। इसके अलावा वर्षा और हिमपात न होने के कारण राज्य के अधिकांश हिस्सों में शुष्क ठंड पड़ रही है।मौसम विभाग ने निचले और मध्यम ऊंचाई वाले चार जिलों में शीतलहर की चेतावनी जारी की गई है। मंडी जिला के बल्ह, सुंदरनगर व मंडी मुख्य शहर भी कड़ाके की ठंड की चपेट में हैं। मौसम विभाग ने 24 दिसंबर तक शीतलहर से राहत नहीं मिलने की चेतावनी दी है। प्रदेश में ऐसा पहली बार देखने में आया कि मानसून जाने के बाद किसी भी हिस्से में पर्याप्त वर्षा नहीं हुई। प्रदेश के अधिक ऊंचाई वाले स्थानों में भी अपेक्षाकृत कम हिमपात हुआ है। बुधवार दोपहर तक प्रदेश के सभी स्थानों पर धूप खिली रही।दोपहर बाद हल्के बादल घिरने से ठंडी हवाएं चलीं। पर्यटन स्थल शिमला व कुफरी मैदानी क्षेत्रों से अधिक गर्म हैं। ऊना, मंडी, सुंदरनगर में न्यूनतम तापमान शिमला से कम चल रहा है।कल्पा में 33 साल बाद सबसे अधिक तापमान दो दिन पहले कल्पा में अधिकतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। बुधवार को कल्पा का अधिकतम तापमान 18.9 डिग्री रिकार्ड किया गया जो सामान्य से नौ डिग्री सेल्सियस ज्यादा है।शिमला में चल रहा अधिकतम तापमान उतना हैरत में डालने वाला नहीं रहा, लेकिन किन्नौर जिला में करीब 10 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि चौंकाने वाली है। इन दिनों जनजातीय क्षेत्रों में अधिकतम तापमान अपेक्षाकृत 10-12 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है। हिमाचल प्रदेश के आठ स्थानों पर तापमान माइनस में दर्ज हुआ। लाहुल-स्पीति के ताबो में -7.4 डिग्री सेल्सियस, कुकुमसेरी में -5.3, समधो में -5.0, सिऊबाग में -1.2, बरठीं में 0.9, बजौरा में -1.8, भुंतर में -1.9 व कल्पा में -1.4 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया।वही वर्षा न होने से नदियों में जलस्तर कम है। गिरि पावर हाउस के जटोन बैराज में 24 घंटे में एकत्रित पानी से मात्र सात घंटे ही एक टरबाइन चल रही है। दूसरी टरबाइन की मरम्मत की जा रही है। एक महीने में औसतन 4000 मेगावाट बिजली ही उत्पन्न हो रही है। बिजली के कम उत्पादन के चलते उत्तराखंड और पंजाब से बिजली की आपूर्ति की जा रही है। उधर, गिरि नगर पावर हाउस के अधिशाषी अभियंता अजय चौधरी ने बताया कि नदी में पानी की कमी के चलते पावर हाउस की क्षमता घटकर 18 मेगावाट पर आ गई है। एक ही टरबाइन से बिजली उत्पादन किया जा रहा है।